ममता प्रभु चरणों में – आज के विचार

आज के विचार

केंद्रीय भाव

हमारी ममता (लगाव) को जहाँ भी बांधते हैं, वहाँ से अलग होना कठिन हो जाता है। अगर यही ममता हम भगवान श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित कर दें, तो वे हमें अपने समीप खींच लेते हैं।

आज क्यों महत्वपूर्ण है

आज के समय में हमारा मन अनेक संबंधों, वस्तुओं और इच्छाओं में बंटा हुआ है। यह हमें भीतर से अस्थिर और दुःखी बनाता है। जब ममता प्रभु में केंद्रित होती है, तो सुख-दुःख, मान-अपमान और हानि-लाभ का प्रभाव मिट जाता है। शांति और प्रेम का भाव मन में स्थायी हो जाता है।

वास्तविक जीवन की तीन परिस्थितियाँ

  • कार्यस्थल पर अपमान: यदि आपकी ममता केवल प्रभु में है, तो सहकर्मी का अपमान मन को विचलित नहीं करेगा। यह ईश्वर की परीक्षा समझकर सहजता से सामना करेंगे।
  • परिवार में मतभेद: परिवारिक प्रेम रहेगा, परंतु आसक्ति नहीं। इससे आप प्रेमपूर्वक सेवा करेंगे, परंतु आंतरिक शांति अक्षुण्ण रहेगी।
  • आर्थिक संकट: धन साधन कम होने पर भी मन विचलित नहीं होगा, क्योंकि विश्वास होगा कि पालनकर्ता प्रभु हैं।

लघु आत्मचिंतन

आँख बंद करके यह देखें कि मेरी ममता कहाँ-कहाँ बँधी है। प्रत्येक बंधन को मानसिक रूप से प्रभु के चरणों में अर्पित करें। अनुभव करें कि अब हृदय हल्का है और मन में केवल एक ही रूप है – श्री कृष्ण का।

ममता समर्पण के लाभ

  • आंतरिक शांति
  • समान दृष्टि – मित्र-शत्रु, लाभ-हानि में
  • आसक्ति-मुक्त प्रेम
  • ईश्वर-स्मरण में स्थिरता

ममता क्यों बिखरती है?

हम अपनी प्रिय वस्तु, व्यक्ति या गौरव में ममता बांधते हैं क्योंकि यह हमें सुरक्षा और सुख का भ्रम देता है। वास्तविक सुख तब आता है जब यह शक्ति प्रभु में केंद्रित होती है।

ममता प्रभु में कैसे केंद्रित करें?

  • दैनिक जप और भजन करते हुए प्रभु के चरणों का स्मरण
  • आसक्ति का निरीक्षण – पहचानें कि मन कहाँ भाग रहा है
  • सत्संग और संत-समागम में रहना
  • शास्त्रपाठ और उसका मनन
  • हर कार्य को प्रभु की सेवा मानना

आज का संकल्प

“मेरी ममता केवल प्रभु के चरणों में होगी। संसार में व्यवहार करूँगा, परंतु आसक्ति नहीं रखूँगा।”

FAQs

1. क्या ममता खत्म करना मतलब रिश्तों को तोड़ना है?

नहीं, रिश्ता प्रेम से निभाना है, परंतु उसका आधार प्रभु प्रेम हो, आसक्ति नहीं।

2. क्या यह केवल संन्यासियों के लिए है?

नहीं, गृहस्थ भी ममता प्रभु में केंद्रित करके आनंदमय जीवन जी सकता है।

3. ममता छोड़ना कठिन लगता है, क्या करें?

धीरे-धीरे अभ्यास करें, ध्यान और सत्संग से मन को प्रभु में लगाएँ।

4. ममता को पहचानने का सबसे आसान तरीका क्या है?

देखें कि कौन-सी बात या व्यक्ति आपके मन को सबसे ज़्यादा प्रभावित करता है – वहीं ममता है।

अपने भाव को अधिक गहरा करने के लिए आप bhajans और सत्संग सुन सकते हैं, जो मन को प्रभु की ओर स्थिर करने में सहायक हैं।

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Originally published on: 2024-02-27T05:27:53Z

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