संत संग का महत्व और अंतिम जन्म का संकेत
संत संग का महत्व
गुरुजी के वचनों में स्पष्ट है कि संतों का दर्शन और उनका सानिध्य कोई साधारण घटना नहीं है। यह उस आत्मा का संकेत है जिसका यह अंतिम जन्म हो सकता है। प्रभु का हृदय करुणा से भर जाता है और वे अपनी ओर खींच लेते हैं।
संत सानिध्य के लाभ
- मन की अशांति शांति में बदलने लगती है।
- भक्तिभाव सहज होने लगता है।
- आध्यात्मिक मार्ग पर दृढ़ता आती है।
जिन्हें संतों का संग नहीं मिलता, वे माया के विषयाकर्षण में बंधे रहते हैं। ऐसे में मन भगवद भजन से विमुख हो जाता है और जीवन का अनमोल अवसर व्यर्थ जाता है।
माया की पहचान
माया बार-बार हमें विषय इच्छाओं में उलझाती है, जिससे प्रभु स्मरण भूलने लगते हैं। संत समागम ही हमें इस दलदल से निकालने का मार्ग दिखाता है।
माया से बचने के उपाय
- प्रतिदिन नामजप और भजन में समय दें।
- सत्संग में नियमित शामिल हों।
- एकांत में आत्मचिंतन करें।
यदि आपके पास सत्संग का अवसर नहीं है, तो घर पर भी आप दिव्य संगीत और bhajans सुनकर प्रभु से जुड़ सकते हैं।
आज का संदेश
“साधुसंग ही भवसागर से पार करने वाली नाव है।”
आज के 3 अभ्यास
- एक संत या महापुरुष के विचार सुनें।
- कम से कम 15 मिनट नामजप करें।
- किसी जरूरतमंद की निःस्वार्थ सेवा करें।
एक भ्रांति का समाधान
भ्रांति: केवल बड़े संतों से मिलने पर ही लाभ होता है।
सत्य: हर सत्संग, चाहे छोटा हो या बड़ा, हृदय को शुद्ध करता है और मार्गदर्शन देता है।
प्रश्नोत्तर
प्र. संत संग के बिना भी क्या मोक्ष संभव है?
उ. संत संग मोक्ष का सर्वोत्तम साधन है, परंतु प्रभु की कृपा और आत्मसाधना से भी प्रगति हो सकती है।
प्र. माया से कैसे बचें?
उ. नामजप, सत्संग, और अच्छे विचारों के संग से माया का प्रभाव घटता है।
प्र. क्या ऑनलाइन भजन सुनना भी संत संग माना जा सकता है?
उ. हाँ, यदि मन श्रद्धा और समर्पण से जुड़ा हो तो ऑनलाइन भजन भी आत्मा को शुद्ध करता है।
प्र. संत संग का वास्तविक अर्थ क्या है?
उ. केवल पास बैठना नहीं, बल्कि उनके विचार, जीवन और मार्गदर्शन को अपनाना।
प्र. अंतिम जन्म का संकेत कैसे पहचाने?
उ. जब सांसारिक आकर्षण कम और भक्ति की तृष्णा गहरी होने लगे, यह एक संकेत हो सकता है।
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Originally published on: 2023-09-15T10:01:03Z



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