कलयुग में पवित्रता का महत्व और आत्म-संयम की शक्ति
परिचय
कलयुग में मनुष्य कई विकर्षणों और दोषों से घिरा है। मदिरापान, पापपूर्ण संगति, जुआ, चोरी, और अपवित्र जीवन-शैली, इन सबका प्रभाव हमारी बुद्धि और आत्मा दोनों पर पड़ता है। स्वामीजी ने अपने प्रवचन में बताया कि यदि इन दोषों में से कोई भी हमारे जीवन में प्रवेश कर गया, तो यह हमारी आध्यात्मिक उन्नति को रोक देगा।
कथा: पवित्रता की हानि
एक बार एक गाँव में एक साधारण गृहस्थ था। वह मंदिर जाता, पूजा करता, परंतु साथ ही अपने मित्रों के प्रभाव में आकर कभी-कभी पापमय गतिविधियों में शामिल हो जाता। उसने इन्हें छोटी बातें समझकर नजरअंदाज किया। धीरे-धीरे, उसका मन भक्ति से दूर हो गया, और उसे पूजा में आनंद नहीं आता था। एक दिन, एक संत ने उसे समझाया — “जब शरीर, वचन और विचार अशुद्ध हो जाते हैं, तो परम पवित्र भगवान का स्मरण हृदय में टिकता नहीं।” यह संवाद सुनकर उसका मन द्रवित हो गया और उसने एक-एक करके अपने दोषों को त्यागना शुरू किया।
मूल शिक्षा
शारीरिक और मानसिक पवित्रता ही भक्ति का आधार है। चाहे हम कितने भी धार्मिक कर्म करें, यदि जीवन में अशुद्ध क्रियाएं बनी रहें, तो परमात्मा की अनुभूति कठिन होती है।
व्यावहारिक प्रयोग
- प्रतिदिन आचरण की समीक्षा करें और छोटी से छोटी अशुद्ध आदत को नोट करें।
- अच्छे लोगों और प्रेरणादायी वातावरण का चयन करें।
- दिन की शुरुआत और अंत पवित्र संकल्प और भजन-स्मरण से करें।
चिंतन प्रश्न
आज मैं कौन-सी छोटी सी आदत त्याग सकता हूँ जो मेरी आत्मा को अधिक पवित्र और शांत बनाएगी?
कलयुग के पांच प्रमुख दोष
- मदिरापान (शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का नाश करता है)
- अशुद्ध संगति और व्यभिचार
- अत्यधिक मांसाहार और हिंसा
- जुआ और लोभ
- चोरी और बेईमानी
पवित्रता का अभ्यास
पवित्रता केवल बाहरी आचरण नहीं, बल्कि विचार और भाव में भी शुद्धता की आवश्यकता है। स्वच्छता, संयम, और ईमानदारी — ये तीन स्तंभ पवित्र जीवन के आधार हैं।
दैनिक जीवन में पवित्रता
- सुबह स्नान और ध्यान करके दिन की शुरुआत करें।
- वचन में मधुरता और सत्यता रखें।
- भोजन में सात्त्विकता का पालन करें।
FAQs
क्या केवल बाहरी स्वच्छता पर्याप्त है?
नहीं, आंतरिक विचारों की शुद्धता भी आवश्यक है।
क्या पवित्रता भक्ति के लिए अनिवार्य है?
जी हां, पवित्रता के बिना मन भगवान में स्थिर नहीं होता।
मैं कैसे शुरुआत करूं?
छोटे संकल्प लें और धीरे-धीरे बुराईयों को कम करें।
क्या संगति का प्रभाव सचमुच इतना गहरा होता है?
हां, संगति हमारे विचार और जीवन-दिशा दोनों बदल सकती है।
भजन का क्या महत्व है?
भजन मन को पवित्र करने का सरल और मधुर साधन है।
आध्यात्मिक संदेश
कलयुग के दोष आकर्षक लग सकते हैं, पर वे आत्मा को भारी और अस्थिर कर देते हैं। पवित्रता और संयम के मार्ग पर चलकर ही हम सच्चे सुख और भगवान का सान्निध्य पा सकते हैं।
यदि आप अपने मन को भक्ति में स्थिर करना चाहते हैं, तो पवित्र जीवन अपनाएं और दिव्य bhajans के संग से मन को आनंदित करें।
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Originally published on: 2023-04-18T02:55:08Z



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