दीपावली का सच्चा प्रकाश: अंतःकरण में जागता ज्ञानदीप
परिचय
दीपावली केवल दीप जलाने का पर्व नहीं है, यह अपने भीतर के अंधकार को मिटाने का अवसर है। गुरुजी के सरल उपदेश में यह संदेश स्पष्ट है कि बाहरी प्रकाश तभी सार्थक है जब भीतर का ज्ञानदीप प्रज्वलित हो।
गुरुजी का संदेश
गुरुजी ने कहा — दीपावली पर खूब नाम जप करो, नशे से दूर रहो, पराई माता-बहनों की ओर गलत दृष्टि न डालो, भगवान की आराधना करो और समाज में प्रेम से रहो। यही सच्ची दीपावली है।
एक प्रेरक कथा
गुरुजी ने अपने प्रवचन में महाभारत का एक प्रसंग सुनाया। युधिष्ठिर ने दीपावली के समय पासे का खेल खेला। एक बार के खेल में उन्होंने सब कुछ हार दिया — राज्य, भाई और यहां तक कि द्रौपदी को भी। परिणामस्वरूप बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास मिला।
कथानक का सार
गुरुजी ने कहा, “अगर एक ही बार का जुआ इतना विनाशक हो सकता है, तो आधुनिक युग का निरंतर जुआ घर-परिवार को कैसे बचा सकता है?” इसलिए दीपावली के अवसर पर किसी प्रकार का जुआ न खेले।
नीति बोध (Moral Insight)
जीवन की हर बाजी प्रभु के हाथ में सौंप दो; अपने कर्म और विचार को शुद्ध रखो। वास्तविक आनंद भक्ति में है, दांव में नहीं।
व्यावहारिक उपयोग (Practical Applications)
- हर दिन कुछ समय प्रभु नाम स्मरण में लगाएँ। मौन में बैठकर अपने भीतर की शांति सुनें।
- कोई भी प्रलोभन या त्वरित लाभ के पीछे न भागें; संयम और ईमानदारी को जीवन का नियम बनाएं।
- परिवार के साथ दीप जलाते समय एक-दूसरे के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करें।
चिंतन का संकेत (Reflection Prompt)
जब भी आप दीप जलाएं, स्वयं से एक प्रश्न पूछें — क्या मेरे भीतर भी आज ज्ञान का दीपक जला है?
आतंरिक और बाहरी प्रकाश
गुरुजी ने कहा कि घी का दीपक बाहर जलता है, पर ज्ञान का दीपक भीतर। बाहरी दीपक केवल प्रतीक है; असली प्रकाश तो अंतःकरण में तब जलता है जब हम अहंकार, नशा, और अपराधी वृत्तियों को जलाकर राख कर देते हैं।
सच्चा त्यौहार
दीपावली का आनंद केवल मिठाई, कपड़ों, या पटाखों में नहीं; असली उत्सव तब है जब मन में शांत आनंद उत्पन्न होता है।
ऐसे मनाओ सच्ची दीपावली
- मनों का अंधकार मिटाओ, द्वेष और ईर्ष्या से दूर रहो।
- आर्थिक व्यवहार में सादगी रखो और जरूरतमंदों को सहयोग दो।
- संगी-साथी या परिवार में प्रेमपूर्ण बातचीत करो; बाहर की दीपशिखा की तरह निर्मल मुस्कान फैलाओ।
भक्ति का दीप
नाम जप और कीर्तन से मन निर्मल होता है। जब हम प्रभु के नाम से घर जगमगाते हैं, तो बाहरी दीप भी पवित्र प्रकाश में बदल जाते हैं। भक्ति ही वह साधन है जो भीतर के अंधकार को मिटा सकती है।
FAQs
1. दीपावली पर क्यों कहा जाता है कि जुआ न खेलें?
क्योंकि यह मोह और लोभ को बढ़ाता है। गुरुजी के अनुसार, यह घर के सौभाग्य को नष्ट करने वाला कीड़ा है।
2. क्या दीपावली पर नशा करना पाप है?
नशा मन को अज्ञान में डालता है। इस दिन मन को निर्मल रखना ही सच्ची पूजा है।
3. क्या नाम जप किसी विशेष समय पर करना आवश्यक है?
नहीं, परंतु प्रातःकाल और संध्याकाल का समय अधिक शुभ माना गया है।
4. दीपावली पर किन भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए?
कृतज्ञता, दया, और प्रभु में आस्था — यही मुख्य हैं।
5. भीतर का दीपक कैसे जलाएं?
भक्ति, सेवा, और सत्य पालन से मन का दीपक जलता है।
समापन: आत्मप्रकाश की ओर
दीपावली का सच्चा उत्सव तब है जब हम अपने भीतर के अंधेरे को मिटा देते हैं और प्रेम का प्रकाश फैलाते हैं। भक्ति, सेवा, और संयम — यही तीन दीपक हर दिन जलाने योग्य हैं।
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Originally published on: 2024-11-01T14:20:26Z



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