दीपावली का सच्चा प्रकाश: आत्मज्ञान का दीपक जलाओ
दीपावली का सच्चा प्रकाश
दीपावली केवल बाहर के दीपों की उत्सव नहीं, बल्कि यह हमारे अंदर ज्ञान और प्रेम का दीपक जगाने का पावन अवसर है। गुरुजी का संदेश यही है कि अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर आत्मा का दीया जलाओ — यही सच्ची दीवाली है।
अंतर का दीपक और बाहरी दीप
जब हम बाहर दीप जलाते हैं तो वह भौतिक प्रकाश फैलाता है, परंतु जब हम भीतर का दीपक जलाते हैं — जो नाम जप, सेवा और करुणा से प्रज्वलित होता है — तब सारा जीवन प्रकाशित हो उठता है।
- नाम जप को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
- भगवान के प्रति श्रद्धा और प्रेम बनाए रखें।
- इंद्रिय संयम का अभ्यास करें — नशा, जुआ और नकारात्मक दृष्टि से दूर रहें।
दीपावली में क्या करें और क्या न करें
गुरुजी ने बहुत सरल शब्दों में दीपावली के नियम बताए हैं जो जीवन को आनंदमय बनाते हैं:
- करें: श्री ठाकुरजी का भोग लगाएँ, नाम कीर्तन करें, परिवार के साथ प्रेमपूर्वक दीप जलाएँ।
- न करें: किसी भी प्रकार का नशा या जुआ। ये केवल दुःख की ओर ले जाते हैं।
- स्मरण रखें: दिवाली का अर्थ केवल बाहर सजावट नहीं, भीतर शुद्धता और आत्मानंद है।
श्लोक / प्रेरक वाक्य
“दीपोज्योतिर् परमं ज्ञानं, तेन तमो नश्यति।” — अर्थात जब ज्ञान का दीपक जलता है, तब अज्ञान का अंधकार दूर होता है।
आज के लिए कार्य
- एक शुद्ध संकल्प लें – आज किसी से कटु वचन नहीं बोलेंगे।
- अपने घर में एक दीपक भगवान के नाम का जलाएँ और मन में उनका स्मरण करें।
- रात्रि में पाँच मिनट मौन रहकर दिनभर के कर्मों का आत्म निरीक्षण करें।
संदेश का दिन
संदेश: बाहरी दीपक को जलाते हुए अपने भीतर का सत्य दीपक जगाना ही जीवन की वास्तविक दीपावली है।
मिथक का खंडन
अक्सर लोग सोचते हैं कि त्यौहारों में थोड़ी मौज-मस्ती, जुआ या शराब चलती है। यह भ्रांति है। गुरुजी का स्पष्ट कहना है — “गलत काम होली या दिवाली में भी नहीं चलता।” आनंद का असली स्रोत सजगता और भगवान की भक्ति में है, न कि क्षणिक मनोरंजन में।
भगवान की आराधना के तरीके
भगवान की सच्ची आराधना का अर्थ केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है। यह मन की पवित्रता, विचारों की शुद्धता और कर्मों की सज्जनता में प्रकट होती है।
- हर व्यक्ति को शुभ दृष्टि से देखें।
- सेवा भाव अपनाएँ — किसी की मदद करें, शब्दों से नहीं बल्कि कर्म से।
- ईर्ष्या और क्रोध को प्रेम और समता में बदलें।
कीर्तन और नाम जप की शक्ति
नाम जप और कीर्तन केवल भक्ति का रूप नहीं, आत्म शुद्धि का मार्ग हैं। जब हम भगवान का नाम स्मरण करते हैं, तो हमारे भीतर की अस्थिरता समाप्त होती है। शांत मन ही प्रकाश फैलाता है।
आप प्रेरणादायक bhajans सुनकर और भी गहराई से इस आनंद को अनुभव कर सकते हैं। वहां आपको आध्यात्मिक मार्गदर्शन और भक्तिमय संगीत दोनों मिलेंगे।
आध्यात्मिक चेतना की दीपावली
गुरुजी का आशीर्वाद यह स्मरण दिलाता है कि हर पर्व आत्मोन्नति का एक अवसर है। दीपावली के दीये हमें यह प्रतीकात्मक बात सिखाते हैं — सच्चा प्रकाश अंदर से आता है। जब मन का दीप शुद्ध विचारों और प्रेम से भर जाता है, तो बाहर का संसार अपने-आप सुंदर लगने लगता है।
सामाजिक सौहार्द और आनंद
समाज को प्रेम और आनंद से जीवन व्यतीत करना चाहिए। कोई द्वेष, ईर्ष्या या कलह न हो। जब परिवार और समाज में शांति होती है, तो ईश्वर का आशीर्वाद स्वतः प्राप्त होता है।
वार्तालाप: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- प्र1: क्या दीपावली में नाम जप आवश्यक है?
उ: हां, नाम जप आत्मा को प्रकाशमान करता है और हर शुभ कार्य में दिव्यता जोड़ता है। - प्र2: क्या एक बार जुआ खेलने से नुकसान होता है?
उ: हां, यह दुर्भावना जगाता है और मन को मोह व असंतोष में फँसा देता है। - प्र3: भगवान की आराधना कैसे करें?
उ: प्रेम, सत्य और अनुशासन से। कोई दिखावा नहीं, बल्कि सच्ची निष्ठा ही भक्ति है। - प्र4: दीपावली की रात क्या साधना की जा सकती है?
उ: शांत ध्यान, नाम स्मरण और कृतज्ञता का अभ्यास अत्यंत शुभ फल देता है। - प्र5: क्या नशा पूर्णतः वर्जित है?
उ: बिल्कुल। यह आत्मचेतना और प्रभु-स्मरण दोनों को बाधित करता है।
अंतिम संदेश
दीपावली का उत्सव हमें हर पल यह याद दिलाता है कि जीवन का दीप तभी दीप्तिमान होता है जब उसमें प्रेम, सद्भाव और आत्मज्ञान की ज्योति जलती है। अपने घर को दीपों से, और अपने अंतर्मन को प्रभु के नाम से प्रकाशित करें। यही सच्चा मंगलमय जीवन है।
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Originally published on: 2024-11-01T14:20:26Z



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