Aaj ke Vichar: Naam Smaran ke Madhur Rahasya
केन्द्रीय विचार
आज का विचार यह है कि नाम स्मरण कभी व्यर्थ नहीं जाता। चाहे मन लगे या न लगे, भगवान का नाम अपने में तारण शक्ति, पाप-नाशक शक्ति और सुख-वर्धक शक्ति रखता है। मन अनेक विचारों में उलझा हो, फिर भी जप निरर्थक नहीं होता। जैसे अग्नि में जलाने की शक्ति है, वैसे ही नाम में कल्याण की शक्ति है।
आज के समय में इसका महत्व
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मन हर क्षण विचारों की भीड़ से घिरा रहता है। ध्यान करते समय या जप करते समय मन का भटकना स्वाभाविक है। ऐसे में व्यक्ति सोचता है कि उसका नाम स्मरण निष्फल है। किंतु यही भ्रम हमें आगे बढ़ने से रोकता है। हमें यह समझना आवश्यक है कि नाम स्मरण का फल निश्चय ही होता है — धीरे-धीरे मन को निर्मल, शांत और भगवान के निकट करता है। जब श्रद्धा दृढ़ हो जाए तो नाम स्वयं अपनी शक्ति से हमें आंतरिक शांति प्रदान करता है।
तीन जीवन परिस्थितियाँ
1. कार्यस्थल की व्यस्तता
रामेश सुबह जल्दी उठकर नाम जप करता है, पर दफ्तर की चिंताएँ मन में घूमती रहती हैं। वह सोचता है जप व्यर्थ हो गया। लेकिन समय के साथ वह देखता है कि उसका स्वभाव कोमल होता जा रहा है, तनाव कम हो रहा है। यही जप का प्रभाव है।
2. घर की जिम्मेदारियाँ
सीमा घर संभालते हुए जब भी थोड़ा समय मिले तो राधा नाम का स्मरण करती है। बच्चों की आवाज़ें, कामकाज बीच में आते हैं, फिर भी वह निराश नहीं होती। धीरे-धीरे उसे भजन और नाम में रस आने लगता है। मन शांत होता है, हृदय में करुणा बढ़ती है।
3. एकांत साधना की चाह
मधु कई वर्षों से साधना कर रही है, पर मन बार-बार विषयों की ओर जाता है। गुरुजी कहते हैं – यह संकेत है कि पाप समाप्त हो रहे हैं, अभी हृदय जलना स्वाभाविक है। जब नाम का अधिक से अधिक लेने का मन करे, तो समझना चाहिए कि मन निर्मल होने लगा।
मार्गदर्शी चिंतन
शांत बैठकर भीतर देखें — क्या मैं नाम जपते हुए प्रभु को याद करता हूँ या केवल मन को रोकने की कोशिश करता हूँ? अग्नि की तरह नाम में तारण शक्ति है; चाहे भावना हो या न हो, नाम अपना काम करेगा। प्रतिदिन कुछ समय श्रद्धा पूर्वक नाम लें और अनुभव करें कि धीरे-धीरे भीतर प्रकाश बढ़ रहा है।
व्यावहारिक सुझाव
- नाम जप का समय निश्चित करें, चाहे कुछ ही मिनट क्यों न हों।
- मन भटके तो भी बिना अपराधभाव के जप जारी रखें।
- आरंभ में सांस के साथ नाम जोड़ें – श्वास लें तो ‘रा’, छोड़ें तो ‘म’।
- भक्ति संगीत या भजनों का श्रवण मन को नाम में स्थिर करने में सहायक होता है।
- श्रद्धा को बढ़ाने का अर्थ है हर परिस्थिति में नाम पर भरोसा रखना।
लघु ध्यान
आंखें बंद करें। एक बार धीरे से कहें — ‘राधा’, फिर ‘कृष्ण’। श्वास में प्रकाश और प्रेम को अनुभव करें। भीतर का हलचल धीरे-धीरे शांत होगा। यही नाम का मधुर स्पर्श है।
FAQs
प्र. 1: क्या मन लगने पर ही जप सफल होता है?
उ. नहीं, जप में न लगने पर भी नाम अपनी प्रभाव शक्ति से कार्य करता है।
प्र. 2: क्या बिना गुरु के नाम स्मरण करना उचित है?
उ. हाँ, सच्ची श्रद्धा ही सबसे बड़ा गुरु है। मार्गदर्शक से spiritual guidance भी प्राप्त कर सकते हैं।
प्र. 3: नाम जप का सही तरीका क्या है?
उ. नाम को प्रेम से उच्चारित करें; नियम से दोहराएं, पर यांत्रिक न हों।
प्र. 4: अगर विचार नकारात्मक हों तो?
उ. नकारात्मक विचार आने पर नाम जप इन्हीं विचारों को धीरे-धीरे रूपांतरित कर देता है। उसे जारी रखें।
प्र. 5: कितने समय तक जप करना चाहिए?
उ. जितना संभव हो उतना करें; दस मिनट भी निरंतर हर दिन हो तो प्रभाव अवश्य दिखता है।
नाम स्मरण की मिठास से मन की अशांति दूर होती है, और हृदय में दिव्य प्रकाश स्थिर होता है। आज से ही तय करें — चाहे परिस्थिति कोई भी हो, मैं नाम की ज्योति जलाए रखूँगा।
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Originally published on: 2024-01-25T04:30:17Z



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