कमज़ोरी नहीं, ईश्वर का आधार
संदेश का सार
जब तक हम स्वयं को दुर्बल समझते हैं, समाज की दृष्टि भी हमें वैसी ही दिखेगी। पर यदि हम अपने को भगवान का अंश मान लें, तो कोई कमी शेष नहीं रहती।
श्लोक (भावार्थ): “जो आत्मा में स्थित है, वह अजेय है। शरीर क्षणभंगुर है, आत्मा शाश्वत।”
आज के 3 अभ्यास
- दिन की शुरुआत भगवान के नाम-जप से करें: राधा-राधा, राम-राम।
- अपनी शारीरिक या मानसिक कमी को भूलकर सेवा या प्रेम का एक छोटा कार्य करें।
- किसी को सम्मान दें, बिना उसकी स्थिति या रूप को देखे।
मिथक का खंडन
मिथक: “शारीरिक विकलांगता जीवन में बाधा है।”
सत्य: यह केवल देह की सीमा है; आत्मा और भक्ति की शक्ति इससे प्रभावित नहीं होती।
भक्ति का महत्व
भगवान का नाम ही ऐसा औषध है जो हर बाधा, हर पीड़ा को भुला सकता है। शरीर चाहे जैसा हो, स्थितियां चाहे जैसी हों, ईश्वर की कृपा से जीवन मंगलमय हो सकता है।
अष्टवक्र, प्रहलाद, मीरा जैसे भक्तों ने समाज की नकारात्मक दृष्टि को अनदेखा कर केवल प्रभु से प्रेम किया।
समाज और सम्मान
समाज का सम्मान क्षणिक है, शरीर भी क्षणिक है। स्थायी आधार केवल प्रभु का प्रेम है। जो सम्मान प्रभु से मिले, वही सार्थक और अमर है।
भजन और ईश्वर का अनुभव
नियमित नाम-जप और भजन से मन में स्थिरता आती है। आपका शरीर या परिस्थिति कुछ भी हो, भजन से ईश्वर का साक्षात्कार संभव है।
आप bhajans के माध्यम से इस आनंद का अनुभव कर सकते हैं, चाहे कहीं भी हों।
ईश्वर की व्यवस्था
सूरज का प्रकाश, चाँद की शीतलता, जल, वायु – सब ईश्वर की ओर से निशुल्क हैं। कमी केवल हमारे विचारों में है; ईश्वर की दृष्टि में सब पूर्ण है।
जीवन का उद्देश्य
मानव जन्म किसी सम्मान या धन के लिए नहीं, बल्कि ईश्वर को समर्पित कर्म के लिए मिला है।
यदि संकट आये, तो उसे ईश्वर की लीला माने और भयमुक्त होकर भजन में लगे रहें।
FAQs
प्रश्न 1: क्या शारीरिक विकलांगता भक्ति में बाधक है?
उत्तर: बिल्कुल नहीं। भक्ति आत्मा का गुण है, शरीर का नहीं।
प्रश्न 2: समाज की उपेक्षा से कैसे निपटें?
उत्तर: अपना ध्यान ईश्वर और नाम-जप पर रखें; जगत का सम्मान अस्थायी है।
प्रश्न 3: क्या केवल नाम-जप से कल्याण संभव है?
उत्तर: हाँ, यदि नाम-जप सच्ची श्रद्धा और प्रेम से किया जाए।
प्रश्न 4: भजन किस समय करना श्रेष्ठ है?
उत्तर: प्रातः और रात्रि, किंतु मन चाहे तब भी कर सकते हैं।
प्रश्न 5: क्या गरीब या अस्वस्थ व्यक्ति आध्यात्मिक प्रगति कर सकता है?
उत्तर: अवश्य; भक्ति के मार्ग में कोई भौतिक सीमा बाधक नहीं।
संदेश
आप दिव्य हैं। आपका मूल्य ईश्वर के प्रेम से है, किसी बाह्य मापदंड से नहीं। आज से अपनी कमी को भूलें और नाम-जप में स्थिर रहें।
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Originally published on: 2023-08-30T07:23:03Z



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