नाम जप की शक्ति और आत्म शुद्धि का मार्ग

भोग से वैराग्य तक की यात्रा

मनुष्य का जीवन संघर्ष और साधना से भरा है। जब साधक नाम जप में प्रवृत्त होता है तो मन के पुराने संस्कार उसे विचलित करते हैं। पर याद रखें – नाम कभी नष्ट नहीं होता। जैसे गंगाजल की निर्मलता क्षणिक रूप से धूल से ढक जाती है, वैसे ही हमारे गलत आचरण नाम की पवित्रता को नहीं मिटा सकते, केवल उसे आच्छादित कर देते हैं।

गुरुजी कहते हैं कि निराशा नहीं करनी चाहिए। अगर साधक गिर जाए तो उसे पुनः उठकर फिर से साधना करनी चाहिए। जैसे पहलवान बार–बार गिरकर भी कुशल होता है, वैसे ही साधक बार–बार अभ्यास कर स्वयं पर नियंत्रण पाता है।

मन को समझने का उपाय

  • मन की मांग को अपनी मांग मत समझिए।
  • अपने विचारों के दृष्टा बनिए, भोक्ता नहीं।
  • इंद्रियों के आकर्षण को रूचि मत दीजिए, निरीक्षण की स्थिति रखिए।

गुरु शरण में जाकर युक्ति सीखनी चाहिए क्योंकि युक्ति से मुक्ति प्राप्त होती है। जब मन भोगों की ओर आकर्षित करे तब विवेक से देखिए कि उसकी मांग शरीर की नहीं है, यह केवल भ्रम है।

वैराग्य का दिव्य उदाहरण – राजा भरतरी

राजा भरतरी ने भोगों की परीक्षा की और पाया कि इंद्रिय सुख शाश्वत नहीं। भोग किसी को भी तृप्त नहीं करते। अंततः उन्होने सब कुछ त्याग कर वैराग्य धारण किया। इस कथा से स्पष्ट होता है कि मानव को धर्मयुक्त जीवन ही शांति देता है।

भोग की आग में घी डालने से आग शांत नहीं होती, वरन् बढ़ती है। इसलिए त्याग से ही शांति आती है।

ब्रह्मचर्य और शुद्ध आचरण का महत्व

जीवन का ईंधन है – शक्ति और सात्विकता। अधर्म से आचरण करने वाला न तो सुखी होता है और न शांत। ब्रह्मचर्य का पालन मानव को अध्यात्म के शिखर पर ले जाता है।

नाम संकीर्तन – पापों का नाश

यदि भूलें हो गई हैं तो नाम संकीर्तन करें। “राधा” या “श्री कृष्ण”, “राम” – जिसे प्रिय मानें, उस नाम का जप करें। नाम जप सर्व पापों का नाश करता है। यह केवल मोक्ष नहीं देता, बल्कि बुद्धि की शुद्धि भी करता है।

संगीत, साधना और भक्ति में डूबकर अपने अधर्म और अंधकार को नष्ट करें। जैसे मिसाइल को रक्षा कवच रोक देता है, वैसे ही नाम जप कर्म के आक्रमण को रोक देता है।

दिव्य दृष्टि की पहचान

पार्थिव दृष्टि का अर्थ है – संसार के द्वंद में सत्य खोजने की भूल। साधना से जब पार्थिव दृष्टि मिटती है, तब दिव्य दृष्टि जागती है। यह वह दृष्टि है जिसमें साधक जानता है – “सर्वं खल्विदं ब्रह्म”।

सफलता और असफलता में संतुलन

संसार की उन्नति देखने पर भ्रम मत पालिए कि अधर्मी सुखी है। फल कर्मानुसार मिलते हैं। सत्कर्म का बल भले देर से दिखे, लेकिन वह स्थायी है।

जीवन में विवेक और संवेदना

दया रखें लेकिन ममता में न डूबें। संसार की घटनाओं से दुखी होना अच्छा है पर ज्ञान से द्रवित होना चाहिए। भगवान की सृजन, पालन और विनाश लीला निरंतर चलती रहती है। इन्हें फिल्म की भांति देखिए – लीला में सहभाग बनिए, आसक्ति में नहीं।

आज का मजबूत ‘संदेश’

श्लोक/उक्ति

“नाम अविनाशी है, जैसे सूर्य का प्रकाश बादलों से ढक जाता है पर स्वयं कभी बुझता नहीं।”

तीन क्रियात्मक कदम आज के लिए

  • प्रत्येक असफलता को सीख समझिए, हार नहीं।
  • दिन में कम से कम 15 मिनट नाम-जप करें।
  • किसी एक व्यक्ति से बिना अपेक्षा के करुणा पूर्वक व्यवहार करें।

भ्रम का निराकरण

अक्सर लोग सोचते हैं कि नाम तभी फल देता है जब हम पूर्ण पवित्र हों। सत्य यह है कि नाम ही पवित्रता देता है। प्रारंभ अशुद्ध मन से भी हो सकता है। नाम स्वयं शुद्ध करता है।

भक्ति और आनंद का स्रोत

साधक के लिए आत्म अनुशासन और भक्ति दोनों आवश्यक हैं। जो व्यक्ति भोगों की चमक में खो जाता है, वह समय के साथ दुखी होता है। जो नाम जप को जीवन का केंद्र बनाता है, उसके भीतर बल उत्पन्न होता है।

आप चाहें तो divine music और सत्संग के माध्यम से नित्य प्रेरणा ले सकते हैं। यह मन को स्थिर करता है और साधना में नई ऊर्जा देता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. क्या नाम-जप करते समय गलती होने पर साधना समाप्त हो जाती है?

नहीं, नाम कभी नष्ट नहीं होता। गलती या अशुद्धता नाम के प्रकाश को थोड़ी देर ढक देती है, समाप्त नहीं करती।

2. क्या वैराग्य संसार से भागना है?

वैराग्य भागना नहीं, विवेक है। संसार में रहते हुए अपनी बुद्धि को भगवान में स्थिर करना ही वैराग्य है।

3. साधक को पाप के भय से क्या करना चाहिए?

नाम जप और भजन द्वारा पापों का निवारण करें। भय नहीं, आशा रखिए कि भगवान नाम के द्वारा मुक्त करते हैं।

4. क्या दिव्य दृष्टि कोई चमत्कार है?

नहीं, यह चेतना की गहन अवस्था है जहाँ साधक सब में ईश्वर को देखता है। यह मानसिक दृष्टि नहीं, आत्म दृष्टि है।

5. जीवन में निराशा कैसे दूर करें?

गुरु के शब्द स्मरण करें – बार-बार गिरना हार नहीं, सीख है। नाम जप को निरंतरता दें; वही आशा का स्रोत है।

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Originally published on: 2023-11-01T15:33:09Z

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