बुढ़ापे में समय का सही उपयोग: गुरुवाणी से प्रेरणा
जीवन के अंतिम पड़ाव में समय का महत्व और उसका सदुपयोग करना अत्यंत आवश्यक है। गुरुजी ने अपने प्रवचन में इस बात पर जोर दिया कि जो समय हमारे पास शेष है, उसे हमें सत्संग, भजन और भगवान के नाम स्मरण में लगाना चाहिए।
समय का महत्व
गुरुजी कहते हैं कि जीवन का अधिकांश समय हम सांसारिक कार्यों, जिम्मेदारियों और परिवार में लगा देते हैं। लेकिन जब वृद्धावस्था आती है, तो यह समय केवल ईश्वर भक्ति और आत्मिक शांति में लगाना चाहिए।
दूसरों की निरर्थक बातें
गांव में अक्सर देखा जाता है कि लोग हुक्का पीते हुए या आपसी प्रपंच करते हुए समय बर्बाद करते हैं। यह समय, जो बहुत कीमती है, व्यर्थ चला जाता है। गुरुजी कहते हैं – यदि कोई आपको सांसारिक, बेकार की बातें सुनाने लगे, तो कान में उंगली डालकर “राधा-राधा” का जाप करें। यह न केवल आपको बचाएगा, बल्कि आपके मन को भी ईश्वर के प्रति केंद्रित रखेगा।
भक्ति का मार्ग
जो समय शेष है, उसमें भगवान को समर्पित होकर नाम-जप करें। चाहे आप “राम-कृष्ण-हरि” का नाम लें या “राधा-कृष्ण” का, यह आपके मन को पवित्र और शांत करेगा।
- प्रतिदिन माला लेकर भक्ति करें।
- निरर्थक बातों से दूरी बनाए रखें।
- भजन और कीर्तन में समय दें।
गुरुजी का संदेश
गुरुजी स्पष्ट कहते हैं कि बुढ़ापे में संभलने का समय है। जीवन भर की मेहनत के बाद अब आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का समय है।
आध्यात्मिक साधना और मार्गदर्शन
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भजन और कीर्तन का महत्व
divine music और भजन केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा की शांति और आनंद का स्रोत हैं। भजन करने से मन एकाग्र होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गुरुजी की कथा से सीख
यह प्रवचन हमें यह सिखाता है कि जीवन का हर शेष पल कीमती है। प्रपंच और व्यर्थ की चर्चाओं में इसे गवाने की बजाय हमें इसे आत्मिक विकास के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
FAQs
1. क्या वृद्धावस्था में भक्ति का महत्व अधिक होता है?
हाँ, क्योंकि इस अवस्था में मन और शरीर को सांसारिक कार्यों से विश्राम की आवश्यकता होती है, और भक्ति मानसिक शांति देती है।
2. गुरुजी ने “कान में उंगली डालकर भजन करने” की बात क्यों कही?
यह सांसारिक और व्यर्थ की बातों से बचने का प्रतीक है, ताकि मन भगवान में लगा रहे।
3. क्या युवा भी इस सीख को अपना सकते हैं?
निश्चित रूप से, क्योंकि भक्ति का महत्व केवल वृद्धों तक सीमित नहीं है।
4. Live Bhajans से क्या लाभ होता है?
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5. क्या माला जपना आवश्यक है?
हाँ, माला से जप करने पर एकाग्रता बढ़ती है और ध्यान गहन होता है।
निष्कर्ष
जीवन के अंतिम पड़ाव में समय का सही उपयोग ही आत्मिक उन्नति का मार्ग है। गुरुवाणी हमें प्रेरित करती है कि निरर्थक चर्चाओं और प्रपंच से दूरी बनाकर भक्ति में लीन हो जाएं। bhajans, divine music, और spiritual consultation के माध्यम से हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं।
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Originally published on: 2023-08-27T04:40:13Z



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