अंतिम समय में नाम कीर्तन और भगवत प्राप्ति का रहस्य
जीवन के अंतिम क्षणों में क्या वास्तव में कुछ विशेष साधनाएं और आचरण हमें सीधा दिव्य लोक तक पहुँचा सकते हैं? गुरुजी के इस अद्भुत प्रवचन में एक गहरी सच्चाई प्रकट होती है जिसे सुनकर हर साधक के हृदय में श्रद्धा और विश्वास का संचार हो जाता है। यह विषय केवल एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि आत्मा की मुक्ति का सीधा मार्ग है।
अंतिम समय की साधना का महत्व
गुरुजी बताते हैं कि चाहे व्यक्ति ने जीवन में कैसी भी परिस्थितियां देखी हों, यदि मृत्यु के क्षण में उसका मन और वाणी भगवान के नाम में लीन हो जाए, तो मोक्ष निश्चित है। उन्होंने स्पष्ट कहा — अंतिम समय यदि शरीर में ब्रज रज लगी हो, मुख में चरणामृत हो और राधा नाम का उच्चारण हो रहा हो, तो भगवत प्राप्ति पक्की है।
ब्रज रज का महत्त्व
ब्रज भूमि की धूल (ब्रज रज) को सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह धूल भगवान श्रीकृष्ण के चरणों से पवित्र हुई है। अंतिम समय में इसका स्पर्श आत्मा को दिव्य ऊर्जा और मुक्ति का वरदान देता है।
चरणामृत का महत्व
चरणामृत केवल पानी नहीं, बल्कि भक्ति और आस्था का प्रतीक है। यह भगवान के चरणों के स्पर्श से निर्मित होता है। मृत्यु के समय इसका सेवन आत्मा को पावन करता है और नकारात्मक संस्कारों से मुक्त करता है।
नाम कीर्तन और ‘राधा’ का उच्चारण
नाम जप और कीर्तन हमारे चित्त को भगवान की ओर केंद्रित करते हैं। गुरुजी स्पष्ट करते हैं कि ‘राधा’ नाम का उच्चारण मात्र से ही आत्मा भगवान के चरणों में पहुँच जाती है, चाहे जीवन कैसा भी बीता हो।
गुरुजी की पक्की गारंटी
गुरुजी के शब्दों में अद्भुत दृढ़ता है — वे कहते हैं कि यह कोई अनुमान या अंधविश्वास नहीं, बल्कि अनुभव और प्रभु के आदेश से प्राप्त सत्य है। उनकी ‘गारंटी’ केवल भौतिक प्रमाण पर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभूति पर आधारित है।
कैसे पाएं यह कृपा?
- नियमित भजन और कीर्तन करना।
- ब्रज भूमि की यात्रा और उसके रज का स्पर्श।
- चरणामृत का सेवन करना।
- राधा-कृष्ण के नाम का निरंतर जप करना।
- गुरुजनों से spiritual consultation और मार्गदर्शन लेना।
आध्यात्मिक परामर्श और संगीत की भूमिका
भजन, कीर्तन और divine music साधक के चित्त को निर्मल करते हैं। विशेषकर Premanand Maharaj जैसे महापुरुषों के प्रवचन और गायन आत्मा को भगवान से जोड़ते हैं। आप यहां bhajans सुनकर, free astrology, free prashna kundli और ask free advice जैसी सेवाओं के माध्यम से spiritual guidance प्राप्त कर सकते हैं।
अंतिम समय में मन की स्थिरता
मृत्यु के क्षण में मन को वश में रखना और भगवान के नाम में लगाना ही सबसे बड़ी साधना है। इसके लिए जीवनभर अभ्यास आवश्यक है। यही अभ्यास हमें अंतिम समय में राधा-कृष्ण का स्मरण कराने में सहायक बनता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. क्या केवल अंतिम समय में राधा नाम जपने से मोक्ष संभव है?
गुरुजी के अनुसार हाँ, यदि मृत्यु के समय ब्रज रज, चरणामृत और राधा नाम का उच्चारण हो, तो भगवत प्राप्ति निश्चित है।
2. ब्रज रज कैसे प्राप्त करें?
ब्रज भूमि (वृन्दावन, गोवर्धन इत्यादि) की यात्रा के दौरान आप यह पवित्र रज प्राप्त कर सकते हैं।
3. चरणामृत का महत्व क्या है?
यह पवित्र जल आत्मा को शुद्ध करता है और भगवान की कृपा का माध्यम बनता है।
4. नाम कीर्तन कैसे करें?
हर दिन समय निकालकर भगवान के नाम का जप या भजन कीर्तन करें। आप live bhajans भी सुन सकते हैं।
5. क्या इस साधना के लिए गुरु की आवश्यकता है?
हाँ, एक सच्चे गुरु के निर्देशन में यह साधना और प्रभावी होती है।
निष्कर्ष
गुरुजी के इस उपदेश में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जीवन चाहे कैसा भी हो, अंतिम समय में यदि भगवान का स्मरण और नाम कीर्तन हो, तो आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रज रज का स्पर्श, चरणामृत का सेवन और राधा नाम का उच्चारण केवल आस्था नहीं, बल्कि मुक्ति का सुनिश्चित मार्ग है। इन साधनों को जीवन का हिस्सा बनाकर हम न केवल अपने अंत को पवित्र बना सकते हैं, बल्कि इस जीवन में भी शांति और आनन्द का अनुभव कर सकते हैं।
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Originally published on: 2024-06-29T12:28:27Z



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