पाप क्षालन और भगवान का भरोसा

भगवान का स्मरण ही जीवन का आधार

जीवन में छोटे-बड़े पाप होते हैं, जो कभी भूलवश तो कभी अज्ञानवश हो जाते हैं। गुरुजी के अनुसार, भगवान का निरंतर स्मरण और नाम जप ही इन पापों का सर्वश्रेष्ठ प्रायश्चित है। साधारण पाप शीघ्र नष्ट हो जाते हैं, परंतु असाधारण पापों के लिए प्रायश्चित आवश्यक है।

असाधारण पाप और प्रायश्चित

  • भ्रूण हत्या या गर्भ हत्या
  • परस्त्री गमन
  • हिंसा, मदिरा पान, मांस भक्षण

इनका प्रायश्चित एक विद्वान ब्राह्मण से संस्कृत में श्रीमद्भागवत के 18000 श्लोकों का सात दिन में पूर्ण पाठ कराना और भगवान का कीर्तन-नाम जप है।

माया से मुक्त होने का सरल मार्ग

माया के तीन स्तर हैं – इंद्रियाँ, मन-बुद्धि-चित्त-अहंकार और कारण शरीर। माया से मुक्त होने का सरल उपाय है, गुरु और भगवान की शरण में जाकर उनकी आज्ञा में चलना।

गृहस्थ जीवन में भक्ति

  • परिवार को भगवान का स्वरूप मानकर सेवा करना।
  • पत्नी, माता-पिता, बच्चों के प्रति कर्तव्य निभाना।
  • क्रोध का असली भाव न पालना, केवल परिस्थितियों में अनुशासन हेतु अभिनय करना।
  • प्रेम में मिठास और वाणी में कोमलता रखना।

अहंकार से बचाव

गुरुजी कहते हैं कि जब हम भगवान के शरणागत हो जाते हैं, तो अहंकार उत्पन्न होने पर भी प्रभु ही उसे दूर कर देते हैं। हमें अपनी साधना का श्रेय स्वयं को न देकर, उसे गुरु और ईश्वर की कृपा मानना चाहिए।

विचार और आचरण की पवित्रता

नाम जप से बुद्धि पवित्र होती है, और तभी सत्संग की गूढ़ बातें समझ में आती हैं। पवित्र बुद्धि ही संतों की शिक्षाओं को पकड़ सकती है।

परिवार में सौहार्द

  • भक्ति का प्रभाव घर-परिवार में प्रेम और शांति लेकर आए।
  • प्रियजन को भक्ति से दूर करने वाला व्यवहार न करें।
  • पत्नी के प्रति सम्मान और अधिकार की पूर्ति करें।

ईश्वर के नाम और रूप का सम्मान

भगवान के नाम, विग्रह और पवित्र ग्रंथ का अपमान न करें। उनके चित्र-पत्र, झंडे, मूर्तियों इत्यादि को कभी कचरे में न फेंके।

सम्मानजनक निस्तारण के उपाय

  • गंगा/यमुना किनारे गड्ढा खोदकर समाधि करें।
  • अधिक मात्रा में होने पर अग्नि देव में अर्पण कर राख पवित्र जल में अर्पित करें।
  • लोगों को सही शिक्षा देकर जागरूक करें।

संदेश का सार

जो श्रद्धा और प्रेम से नाम जप करता है, उसके संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

आज करने योग्य 3 उपाय

  1. कम से कम 108 बार अपने इष्ट का नाम जप करें।
  2. किसी एक भूल के लिए किसी को क्षमा करें।
  3. ईश्वर के नाम या चित्र का सम्मानपूर्वक संरक्षण करें।

भ्रम का निवारण

भक्ति का मतलब संसार से भागना नहीं, बल्कि उसे प्रभु को समर्पित करके जीना है। घर और परिवार से प्रेम रखते हुए भी परम प्रेम ईश्वर के चरणों में होता है।

अधिक जानकारी और भजन

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FAQs

1. क्या केवल नाम जप से पाप नष्ट हो सकते हैं?

हाँ, श्रद्धा और निरंतरता से नाम जप करने से संचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

2. असाधारण पाप का प्रायश्चित क्या है?

एक विद्वान ब्राह्मण से संस्कृत में श्रीमद्भागवत का सम्पूर्ण सात दिवसीय पाठ कराना।

3. क्या गृहस्थ जीवन में भक्ति संभव है?

हाँ, कर्तव्य निभाते हुए और हर कार्य भगवान को समर्पित करके।

4. भगवान के चित्र या नाम का क्या करें?

सम्मानपूर्वक जल समाधि या अग्नि में अर्पण करें, कचरे में न फेंकें।

5. माया से मुक्त कैसे हों?

गुरु और भगवान की शरण में जाकर उनकी आज्ञा में चलते हुए निरंतर नाम जप करें।

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Originally published on: 2024-06-10T14:19:32Z

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